युवा लेखक सुशील कृष्णेत ने 'संवदिया' के युवा हिंदी कविता अंक' की समीक्षा करते हुए लिखा है :
''‘संवदिया’ पत्रिका का नया अंक जो 21वीं सदी की
‘युवा हिन्दी कविता’ पर आधारित विशेष अंक है, वर्तमान
पीढ़ी के युवा रचनाकारों की ‘पहली प्रतिक्रिया’, ‘पहली
अभिव्यक्ति’ जैसी है. कुल 92 कवियों की
ये कविताएं प्रेम, जीविका के लिए संघर्ष, व्यवस्था
के विरुद्ध क्षोभ, गाँव और परिवार की स्मृतियों को सहेजती
और अभिव्यक्त करती हुई आज के समय से संवाद करती हैं. इनमें से कुछ पहले से लिखते
हुए अपनी जगह बना रहे हैं, कुछ का पहला-दूसरा लेखन है जो संभावना
लिए हुए है. इस अंक का संपादन किया है डॉ देवेंद्र कुमार ‘देवेश’ ने जो
स्वयं हिन्दी कविता का एक जाना-पहचाना नाम हैं. अनेक ‘युवा
विशेषांकों’ के बीच ‘संवदिया’ के इस अंक की उपलब्धि यह है कि इसमें
एकदम से नए कवियों को जगह दी गयी है जिसे देवेश ‘युवा अभिव्यक्ति का इंद्रधनुष’ नाम देते
हैं. यह जोखिम संपादक ने उठाया है किन्तु इसके पीछे यह स्वप्न है कि इसी बहाने उन
लोगों को एक मंच मिला है जो अभी तक कहीं नहीं दिखे या अपनी बात रख पाए. संपादक ने
अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए इन्हें एक बड़ा अवसर दिया है. अब आगे की यात्रा
उन्हें स्वयं तय करनी होगी.''